रेत की तरह ज़िंदगी हाथों से निकलती चली जाती है हम तो बस किस्से हैं दबे कहीं सिलवटों में इसकी
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Bookworm. Poet. Story-teller.
रेत की तरह ज़िंदगी हाथों से निकलती चली जाती है हम तो बस किस्से हैं दबे कहीं सिलवटों में इसकी
Read Moreग़म तो जनाबइस बात का है कीनिगाहों में जिनकी हमताउम्र रहना चाहते थेउन्हें नज़रों से गिरने मेंज़्यादा वक़्त न लगाहम सपने बुनते रह गएऔर वो दबे पाओं दग़ा दे गए
Read Moreतन्हाइयों की शिकायत करें भी तो कैसे इन्होंने ता उम्र अपनों की तरह साथ निभाया है
Read Moreशाम को जबपंछी घर लौटते हैंउन्हें देख दिल कोदिलासा दे देते हैंमेरा आंगन न सहीकिसीकी तो बगियाआज रोशन हुई
Read Moreउन खामोशियों पे दिल हारती चली गयी… शब्द क्या कह पाते जो तुम्हारी सांसें बयाँ कर गयीं…
Read Moreपल दो पल ठहरकर कभी हमें भी तो देख जिंदगी तेरी मीठी शरारतों में घुलना बाकी है अभी… पल दो पल पलटकर कभी हमें भी तो देख जिंदगी तेरी नमकीन मस्तियों को चखना बाकी है अभी… पल दो पल मुस्कुराकर कभी हमें भी तो देख जिंदगी तेरी हसीन मधोशियों में बिखरना बाकी है अभी…
Read Moreआज रात फिरदरवाजे परतुम्हारी यादोंने दस्तक दीघंटों वे ठहरे रहेकी कब हम उन्हेंभीतर लें, बतियाएंसारी रातचारपाई से लिपटेहमने उन्हें अनसूना कियासारी उम्रइन यादों नेआंखें नम ही तो की हैं
Read Moreकभी तो ऐसा होमैं कुछ न कहूँऔर तुम सुन लोमैं नज़रें चुराऊँऔर तुम देख लोमैं उम्मीदें छुपाऊँऔर तुम जान लोमैं हसरतें मिटाऊंऔर तुम पढ़ लोकभी तो ऐसा होमैं खुदको रोकूंऔर तुम पहचान लोमैं कतरा बिखरुंऔर तुम थाम लो
Read Moreइश्क़ कुछ इस कदर हुआ उनसेउनकी गलतियां अपनी लगने लगींउनकी खामियां अच्छी लगने लगींउनकी नासमझी की हद तो देखियेवह हमें हीदोषी करार करअनजानों की तरहछोड़ चले ~~~~~ आशा सेठ
Read Moreजैसे है पीला सूरज का नीला आकाश का हरा बरसात का सफ़ेद सर्दी का जैसे है भूरा धरती का नारंगी शूर का लाल प्रेम का काला झूठ का वैसे ही रंगी हूँ तुझ में सदा के लिए तेरे बिना मेरी पहचान क्या? तुझसे जुदा मेरा अस्तित्व क्या? ~~~~~ आशा सेठ
Read Moreमत पूछो हमसे की दिल का हाल क्या है… क्या करे बेचारा इसकी ख्वाहिशें बेशुमार हैं… ~~~~~ आशा सेठ
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